NVC 1

↩ poems

<2020-06-01—2020-11-11>

CC0, contrapunctus/Kashish

क्रोध की कुल्हाड़ी उठाने से बच सकते हो—
तुम चाहते क्या हो?
बस यह सोचने तक की देर है।

अपने ही पैर काट डालने से बच सकते हो—
है कौनसी ज़रूरत इस चाह के पीछे?
बस यह सोचने तक की देर है।

मानव नहीं, ये जिन्न भरे हैं जहाँ में
जिनको खुशी-खुशी ज़मी-आसमाँ हिलाने को
प्रेरित तुम कर सकते हो—
प्यार से चिराग सहलाने तक की देर है।